सीवान/दरौंदा: ममता इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, चिंतामनपुर, दरौंदा में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाई गई। यह आयोजन दोनों महान नेताओं के विचारों और उनके योगदान को स्मरण करने के साथ ही उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारने का संदेश देता है। संस्थान के पदाधिकारियों, शिक्षकों, छात्रों
सीवान/दरौंदा: ममता इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, चिंतामनपुर, दरौंदा में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाई गई। यह आयोजन दोनों महान नेताओं के विचारों और उनके योगदान को स्मरण करने के साथ ही उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारने का संदेश देता है। संस्थान के पदाधिकारियों, शिक्षकों, छात्रों और स्थानीय समुदाय ने समारोह में सक्रिय भागीदारी निभाई।
सत्य, अहिंसा और नेतृत्व के आदर्शों पर बल
कार्यक्रम का शुभारंभ गांधीजी और शास्त्रीजी के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुआ। कोऑर्डिनेटर ब्रजेश राजहंस ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी की सत्य और अहिंसा की शिक्षाओं को वर्तमान युग के लिए प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि गांधीजी के विचार आज भी समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रेरणा देते हैं। शिक्षक प्रियजीत ने शास्त्रीजी के “जय जवान, जय किसान” नारे की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को उनके आदर्शों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में जीवंत हुआ इतिहास
समारोह में विद्यार्थियों ने गांधीजी और शास्त्रीजी के जीवन पर आधारित नाटकों और प्रेरणादायक गीतों की प्रस्तुति दी। इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उनके संघर्ष, बलिदान और देश के प्रति समर्पण को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। दर्शकों ने इन प्रस्तुतियों को सराहा और विद्यार्थियों की सृजनशीलता की प्रशंसा की।
समाज के प्रति जागरूकता का संदेश
अम्बेडकर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. कौशल कुमार ने अपने संदेश में कहा कि गांधीजी और शास्त्रीजी का जीवन हमें कठिनाइयों के बावजूद अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है। उन्होंने संस्थान के छात्रों से अपील की कि वे इन महान विभूतियों के सिद्धांतों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करें।
राष्ट्रीय एकता और प्रेरणा का संकल्प
समारोह का समापन राष्ट्रीय गीत के साथ हुआ, जिसमें संस्थान के सभी सदस्य और स्थानीय लोग शामिल हुए। यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के योगदान को याद करने का अवसर बना, बल्कि छात्रों के जीवन में प्रेरणा और आदर्शों का बीजारोपण करने में भी सफल रहा। ममता इंस्टीट्यूट ने इस दिन को एक प्रेरणादायक समारोह के रूप में बदलते हुए अपने सामाजिक और शैक्षिक दायित्व को भली-भांति निभाया।
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